14 अगस्त को शहीद हुए थे जगदीश वत्स, आजादी के दीवाने ने हरिद्वार नगर में तीन जगह फहराया था तिरंगा ध्वज


हरिद्वार में 17 वर्षीय जगदीश प्रसाद वत्स ने सन 1942 में ऋषिकुल आयुर्वेदिक कालेज में पढते हुएआजादी का बिगुल बजाया था। कालेज के छात्रों का नेतृत्व करते हुए 17 वर्षीय जगदीश प्रसाद वत्स ने तिंरगे झण्डे हाथ में लेकर अंग्रेज पुलिस को चुनौती देने का साहस किया था।
 13 अगस्त सन 1942 की रात्रि में छात्रावास में हुई छात्रो की एक बैठक में 14 अगस्त को तिरंगे फैहराने के लिए सडको पर निकल पड़े इंकलाब जिन्दाबाद के नारे  लगते हुए छात्रों का दल 14 अगस्त की सवेरे ही हरिद्वार की सडको पर निकल पडा था। पुलिस की छावनी के बीच भी जब छात्र जगदीश प्रसाद वत्स ने सुभाष धाट पर पहला तिरंगा फैहराया तो अंग्रेज पुलिस की एक गोली उनके बाजू को चीरती हुई निकल गई ।
 घायल जगदीश ने धोती को फाडकर घाव पर बांध लिया और फिर दुसरा तिरंगा फैहराने के लिए डाकधर की तरफ दौड लगा दी।  पुलिस की गोली चलने से बाकी छात्र तो तितर बितर हो गए थे ,लेकिन 17 वर्षीय जगदीश तिरंगे फैहराने की जिद पर अडिग रहा और उसने दुसरा तिरंगा  डाकघर पर फैहरा दियावहां भी पुलिस ने गोली चलाई  जो जगदीश के पैर में लगी।
 जगदीश ने फिर पटटी बांधी और रेलवे लाईन के रास्ते हरिद्वार के रेलवेस्टेशन पर पहुंचकर पाइप के रास्ते उपर चढकर तीसरा तिरंगा फैहरा दिया।  जैसे ही जगदीश तिरंगा फैहराकर नीचे उतरा तो रेलवे पुलिस के इन्सपैक्टर प्रेम शंकर श्रीवास्तव ने उन्हे घेर लिया। जगदीश ने ‌‌‌ताव  में आकर एक थप्पड इन्सपैक्टर श्रीवास्तव को रसीद कर दिया, जिससे वह नीचे गिर पडा। इन्सपैक्टर ने नीचे पडे पडे ही एक गोली जगदीश को मार दी जो उनके सीने में लगी। 
तीसरी गोली लगते ही जगदीश मुर्छि्त हो गया। जिन्हे इलाज के लिए देहरादून सेना अस्पताल ले जाया गया।  बताते है कि वहां जगदीश को एक बार होश आया था और उनसे माफी मांगने को कहा गया था परन्तु माफी न मांगने पर उन्हे कथित रूप में जहर का इंजेक्शन देकर उनकी हत्या कर दी गई। सहारनपुर जिले के ग्राम खजूरी अकबरपुर निवासी जगदीश वत्स का शव भी पुलिस ने उनके पिता पंडित कदम सिंह शर्मा को नही दिया था। उल्टे दुस्साहसी अंग्रेजो ने जगदीश वत्स को गोली मारने वाले पुलिस इन्स्पैक्टर प्रेम शंकर श्रीवास्तव को पुलिस मैडल प्रदान किया था। लेकिन देश आजाद होने पर प्रथम प्रधान मन्त्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने जगदीश वत्स की राष्टृभक्ति व वीरता की प्रंशसा करते हुए एक विजय ट्राफी वत्स परिवार को दी थी। जो धरोहर के रूप में आज भी सुरक्षित है। जगदीश वत्स की स्मृति में उनके गांव खजूरी अकबरपुर में एक जूनियर हाई स्कूल, एक अस्पताल, एक सडक बने हुए है। 
वही हरिद्वार में भी भल्ला पार्क व ऋषिकुल आयुर्वेदिक कालेज में उनकी प्रतिमाए स्थापित है। प्रतिवर्ष उनकी याद में एक वालीबाल टूर्नामेन्ट भी कराया जाता है।


 


‌‌‌                                                                                           साभार


                                                                         पत्रकार श्री आदेश त्यागी जी की फेसबुक वाल से